धरोहर संरक्षण के बहाने इतिहास बचाने की कवायद


मंडी। विश्व धरोहर दिवस के बहाने मंडी की धरोहरों के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण पहल की जा रही है। करीब खंडहर बनी डेढ़ सदी पुरानी विजय हाई स्कूल की इमारत में धरोहर संरक्षण संगोष्ठी का आयोजन अपने आपमें महत्वपूर्ण कदम है। आजादी से पूर्व 1784 में एशियाटिक सोसायटी के गठन के साथ शुरू हुई धरोहर इमारतों और पुरातात्विक महत्व के पुरावशेषों के संरक्षण के प्रति जगी जागरूकता की लौ अब मंडी के विजय हाई स्कूल के भवन पर केंद्रित हो उठी है।
धरोहर संरक्षण में जुटी विभिन्न संस्थाओं, भारतीय पुरातत्व संरक्षण विभाग, प्रदेश भाषा संस्कृति विभाग कृषि एवं पर्यटन विभाग की प्रदर्शनियों के आवरण से 1866 में बनी यह धरोहर इमारत निखर उठी है। 1921 में राजा विजय सेन के नाम से हाई स्कूल का दर्जा प्राप्त इस स्कूल को देश के सबसे अधिक डाक्टर और इंजीनियर देने का गौरव प्राप्त है। वहीं पर प्रदेश के दिग्गज राजनीतिज्ञ पंडित सुखराम, कौल सिंह ठाकुर भी यहीं से शिक्षा ग्रहण कर चुके हैं।
वर्ष 1866 में यहां एंग्लो वर्नाक्यूलर मिडल स्कूल शुरू हुआ था। पहाड़ी और ब्रिटिश काष्ठ भवन कला का यह भवन अद्वितीय नमूना है। जो देखरेख के अभाव में अपना वजूद खोने लगा है। इसके संरक्षण के लिए ओल्ड स्टूडेंट एसोसिएशन और अन्य समाजसेवी संस्थाएं संघर्षरत हैं। इस दो दिवसीय राज्य स्तरीय संगोष्ठी में जहां एक ओर नई पीढ़ी में पुरातत्व और धरोहर संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता लाने के लिए भाषण और चित्रकला तथा लोकगीत गायन जैसी प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जा रहा है। वहीं पर भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग , पर्यटन एवं भाषा संस्कृति विभाग की ओर से प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है।
इधर, इप्टा के राज्य संयोजक लवन ठाकुर का कहना है कि धरोहर संरक्षण गोष्ठी के बहाने प्रदेश की ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण को लेकर जागरूकता पैदा करना है। वहीं पर जिला भाषा अधिकारी राजकुमार सकलानी का कहना है कि मंडी शहर की प्राचीन महत्व की धरोहर इमारतों के संरक्षण के लिए मामले विभाग की ओर से सरकार को भेजे गए हैं। हाल ही में एमर्सन हाउस का मरम्मत कार्य शुरू हो गया है।