विजय हाई स्कूल की धरोहर इमारत को बचाने के लिए स्कूल के ही ओल्ड स्टूडेंट्स कमान संभालने वाले हैं। ओल्ड स्टूडेंट्स चाहते हैं कि प्रदेश सरकार ने जिस तरह से हेरिटेज एमर्सन हाउस के संरक्षण की पहल कर उसके लिए विशेष बजट का प्रावधान किया है, उसी तर्ज पर विजय हाई स्कूल के संरक्षण की पहल होनी चाहिए।
17 अप्रैल और 18 अप्रैल को विजय हाई स्कूल में आयोजित किए जाने वाले वल्र्ड हेरिटेज डे के कार्यक्रम के दौरान स्कूल के संरक्षण की लड़ाई शुरू होगी। हेरिटेज डे पर यहां पुरातत्व विभाग, पर्यटन विभाग, भाषा एवं संस्कृति विभाग सहित धरोहरों के संरक्षण के लिए कई प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है। कांगड़ा मिनियेचर पेंटिंग के लिए पदम भूषण से सम्मानित चित्रकार विजय शर्मा इस समारोह में विशेष तौर पर उपस्थित होंगे।
1950 में स्कूल के विद्यार्थी रहे टारना के सरदार सरवण सिंह का कहना है कि भवन बाहर से देखने को तो ठीक लगता है, मगर अंदर से इसकी हालत दयनीय है।
1955 में पढ़ चुके थनेहड़ा के जितेंद्र कुमार का कहना है कि सरकार को रिपेयर करवानी चाहिए। रिपेयर इस ढंग से होनी चाहिए कि इसका स्वरूप न बदले और इसकी बनावट की कारीगरी में फर्क न आए। यह काम तत्काल होना चाहिए।
1957 में स्कूल में पढ़े अपर समखेतर मुहल्ले के यादविंद्र कौशल कहते हैं कि कि इस तरह का बना स्कूल है और कहां? ऐसे भवन कहां देखने को मिलते हैं। उन्होंने सरकार से मांग है कि स्कूल की मरम्मत ठीक ढंग से की जाए। ऐसे भवन नई पीढिय़ों के लिए संभाल कर रखनी चाहिए। भवन के साथ कई सुनहरी यादें जुड़ी हैं।
1972 में इस स्कूल में पढ़े भगवान मुहल्ला के लोकेंद्र शर्मा कहते हैं कि कि चाहते हैं कि जिस स्कूल में हमारे बुजुर्ग और हम पढ़े हैं उसे यह शहर एक यादगार के रूप में संभाल कर रखे। यह स्कूल ही नहीं, एक ऐतिहासिक दस्तावेज भी है। प्रयास ऐसे हों कि हमारी आने वाली पीढिय़ां भी यहां पढ़ सकें।
Source: भास्कर न्यूज
17 अप्रैल और 18 अप्रैल को विजय हाई स्कूल में आयोजित किए जाने वाले वल्र्ड हेरिटेज डे के कार्यक्रम के दौरान स्कूल के संरक्षण की लड़ाई शुरू होगी। हेरिटेज डे पर यहां पुरातत्व विभाग, पर्यटन विभाग, भाषा एवं संस्कृति विभाग सहित धरोहरों के संरक्षण के लिए कई प्रदर्शनियों का आयोजन किया जा रहा है। कांगड़ा मिनियेचर पेंटिंग के लिए पदम भूषण से सम्मानित चित्रकार विजय शर्मा इस समारोह में विशेष तौर पर उपस्थित होंगे।
1950 में स्कूल के विद्यार्थी रहे टारना के सरदार सरवण सिंह का कहना है कि भवन बाहर से देखने को तो ठीक लगता है, मगर अंदर से इसकी हालत दयनीय है।
1955 में पढ़ चुके थनेहड़ा के जितेंद्र कुमार का कहना है कि सरकार को रिपेयर करवानी चाहिए। रिपेयर इस ढंग से होनी चाहिए कि इसका स्वरूप न बदले और इसकी बनावट की कारीगरी में फर्क न आए। यह काम तत्काल होना चाहिए।
1957 में स्कूल में पढ़े अपर समखेतर मुहल्ले के यादविंद्र कौशल कहते हैं कि कि इस तरह का बना स्कूल है और कहां? ऐसे भवन कहां देखने को मिलते हैं। उन्होंने सरकार से मांग है कि स्कूल की मरम्मत ठीक ढंग से की जाए। ऐसे भवन नई पीढिय़ों के लिए संभाल कर रखनी चाहिए। भवन के साथ कई सुनहरी यादें जुड़ी हैं।
1972 में इस स्कूल में पढ़े भगवान मुहल्ला के लोकेंद्र शर्मा कहते हैं कि कि चाहते हैं कि जिस स्कूल में हमारे बुजुर्ग और हम पढ़े हैं उसे यह शहर एक यादगार के रूप में संभाल कर रखे। यह स्कूल ही नहीं, एक ऐतिहासिक दस्तावेज भी है। प्रयास ऐसे हों कि हमारी आने वाली पीढिय़ां भी यहां पढ़ सकें।
Source: भास्कर न्यूज